अखबारों पर इल्ज़ाम है बेबस,
बेगुनाह और बगावती लोगों के
कत्ल का।
वो वारदातें जिन्हें होना चाहिए
था खबर अखबार के पहले पृष्ठ
का उन्हें कर दिया गया है विस्थापित
नेताओं के महँगे पोशाकों की
तारीफों से।
वो विज्ञान जो कहता है कि पुरूषों
में होता है अत्यधिक बल स्त्रियों
के मुकाबले, उस विज्ञान को करता को करता
है तार-तार अखबार अपनें इस
शीर्षक से कि
“सुनसान इलाके में पाँच मर्दों नें किया
एक बेसहारा औरत का बलात्कार”